गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है, चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है, बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख, तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है…
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शायर तो हम है शायरी बना देंगे आपको शायरी मे क़ैद कर लेंगे| कभी सूनाओ हमे अपनी आवाज़ आपकी आवाज़ को हम ग़ज़ल बना देंगे.|
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घर से बाहर वो नक़ाब मे निकली सारी गली उनकी फिराक मे निकली इनकार करते थे वो हमारी मोहब्बत से ओर हमारी ही तस्वीर उनकी किताब से निकली..
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ज़िक्र भी करदूं ‘मोदी’ का तो खाता हूँ गालियां अब आप ही बता दो मैं इस जलती कलम से क्या लिखूं ?? कोयले की खान लिखूं या मनमोहन बेईमान लिखूं ? पप्पू पर जोक लिखूं या मुल्ला मुलायम लिखूं ? सी.बी.आई. बदनाम लिखूं या जस्टिस गांगुली महान लिखूं ? शीला की विदाई लिखूं या लालू की रिहाई लिखूं ‘आप’ की रामलीला लिखूं या कांग्रेस का प्यार लिखूं भ्रष्टतम् सरकार लिखूँ या प्रशासन बेकार लिखू ? महँगाई की मार लिखूं या गरीबो का बुरा हाल लिखू ? भूखा इन्सान लिखूं या बिकता ईमान लिखूं ? आत्महत्या करता किसान लिखूँ या शीश कटे जवान लिखूं ? विधवा का विलाप लिखूँ , या अबला का चीत्कार लिखू ? दिग्गी का’टंच माल’लिखूं या क ... read more
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दिल के सागर मे लहरे उठाया ना करो, ख्वाब बनकर नींद चुराया ना करो, बहुत चोट लगती है मेरे दिल को, तुम ख्वाबो में आ कर यू तडपाया ना करो
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