गुल गई गुलशन गई, गई होंठो की लाली, अब तो मेरा पीछा छोड़, तू हो गई बचो वाली
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अपनों से दूर है अपनों की तलाश , ज़िन्दगी से दूर है ज़िन्दगी की तलाश , मैं अपने आप को कभी समझ नहीं पाया , कि मैं जी रहा हूँ ज़िन्दगी या हूँ एक जिंदा लाश…..!!
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चल मेरे हमनशीं चल अब इस चमन मे अपना गुजारा नही, बात होती गुलोँ तक तो सह लेते हम अब तो काँटो पे हक़ भी हमारा नही” “कभी चाहा तुझे ऐसा की रब जैसा पूजा, किस जगह मैने तुझे पुकारा नही, यु दर्द देकर क्या मिला तुजे? कह देते की तुमसे मिलना अब गँवारा नही” “अब चला हु घर से ये सोचकर कि इस साहिल का कोई किनारा नही, ढुंढुगा उसे ईस नजर से ना पा सका तो अब कोई नजारा नही” ऍ जालिमो अपनी किस्मत पे इतना नाज ना करो. वक्त तो बदलता ही रहता है, वो सुनेगा यकीँनन सदाऐँ ” अकेले की, क्या खुदा सिर्फ तुम्हारा है, हमारा नही?
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यारो मेरे मरने के बाद, आँसू मत बहाना… यारो… मेरे मरने के बाद, आँसू मत बहाना… ज़्यादा याद आए, तो उपर चले आना…
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उगता हुआ सूरज दुआ दे आपको खिलता हुआ फूल खुशबू दे आपको हम तो कुछ भी देने के बाबिल नहीं, देनेवाला हज़ार खुशिया दे आपको!
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