खोकर पाने का मज़ा ही कुछ ओर है, रोकर मुस्कुराने का मज़ा ही कुछ ओर है, हार तो ज़िंदगी का हिस्सा है मेरे दोस्त, हारने के बाद जीतने का मज़ा ही कुछ ओर है…
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सफ़र ज़िंदगी का बहुत ही हसीन है सभी को किसी न किसी की तलाश हैं किसी के पास मंज़िल हैं तो राह नही और जिसके पास राह हें तो मंज़िल नही
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बनाने वाले ने भी तुझे, किसी कारण से बनाया होगा, छोड़ा होगा जब ज़मीन पर तुझे, उसके सीने में भी दर्द तो आया होगा…
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मोहब्बत भी अजीब चीज़ बनाई तूने, तेरी ही मस्ज़िद मे, तेरे ही मंदिर मे, तेरे ही बंदे, तेरे ही सामने रोते हे, पर तुजे नही, किसी ओर को पाने के लिए.
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कागज़ पर रख कर खाना खाये तो भी कैसे…. खून से लथपथ आता है अखबार आजकल!
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