उठा कर तलवार जब घोड़े पे सवार होते बाँध के साफ़ा जब तैयार होते देखती है दुनिया छत पे चढ़के कहते है की काश हम भी ऐसे होशियार होते…
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पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती, दिल में क्या है वो बात नही समझती, तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है, पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती…
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मोहब्बत भी अजीब चीज़ बनाई तूने, तेरी ही मस्ज़िद मे, तेरे ही मंदिर मे, तेरे ही बंदे, तेरे ही सामने रोते हे, पर तुजे नही, किसी ओर को पाने के लिए.
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गुल को गुलाब बना देते, गुलाब को कमल बना देते, जानम तुम हम पर मरते नहीं, वरना जोधपुर में भी ताजमहल बना देते!
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कभी पहली बार स्कूल जानेमे डर लगता था…आज अकेले ही दुनिया घूम लेते हे ।। पहले 1st नंबर लानेके लिए पढ़ते थे, आज कमाने के लिए पढ़ते हें !! गरीब दूर तक चलता हे… खाना खाने के लिए… अमीर दूर तक चलता हे … खाना पचाने के लिए … कीसी के पास खाने के लिये एक वक्त की रोटी नहीं हे ….. कीसी के पास रोटी खाने के लिए वक़्त ही नहीं हे … कोई लाचार हे इस लिए बीमार हे, कोई बीमार हे इस लिये लाचार हे कोई अपनों के लिए रोटी छोड देता हे, कोई रोटी के लिए अपनों को छोड़ देता हे ये दुनीया भी कितनी निराली हे .. कभी वक़्त मीले तो सोचना… कभी छोटी सी चोट लगनेपे रोते थे, आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते हें! पहेले हम दोस्तों के ... read more
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