सफ़र ज़िंदगी का बहुत ही हसीन है सभी को किसी न किसी की तलाश हैं किसी के पास मंज़िल हैं तो राह नही और जिसके पास राह हें तो मंज़िल नही
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गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है, चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है, बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख, तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है…
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कागज़ पर रख कर खाना खाये तो भी कैसे…. खून से लथपथ आता है अखबार आजकल!
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पी.एम्. की कुर्सी पे मोदी का नाम लिखूं ? अब आप ही बता दो मैं इस जलती कलम से क्या लिखूं”
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ज़िंदगी मे अभी तो बहुत चलना बाकी हैं अभी तो कई इंतेहनो से गुज़रना बाकी हैं हमे लड़ना हे ज़िंदगी की सभी मुश्किलो से हमने तो मुठि भर ज़मीन नापी हैं अभी तो हमे सारा जहाँ नापना बाकी हैं …
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