जीवनरूपी नाव के हम है खिवैया, अगर मजधार में डूबने लगे आपकी नैया, तो डरना नहीं होसला रखना, पार कराएगा आपको कीशन कनैया –
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इतनी पीता हू की मदहोश रहता हू. सब कुछ समझता हू पर खामोश रहता हू जो लोग करते ह मुझे गिराने की कोशिश मे अक्सर उन्ही के साथ रहता हू|
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सारा जहाँ है जिसकी शरण मैं नमन है उस शिव के चरण में बने उस शिव के चरणो की धूल आओ मिलकर चढ़ाये हम श्रद्धा के फूल
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भगवान का दिया कभी अल्प नहीं होता, जो टूट जाये वो संकल्प नहीं होता, हार को जीत से दूर ही रखना, क्योकि जीत का कोई विकल्प नहीं होता |…
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पत्ता भी हिलता है तो , उसी के हुकम से ………….. अधिकार है हमारा , खुद ही के कर्म से , ………….. मिलता है फल तेरे ही कर्म की नियत से ………… आदमी जीता अपने – २ विकारों से………….. घटनाएं घटती है , हुकमें मंजूरे खुदा से ………….. चाँद – तारे भी तू ही उगा रहा है …………. रोशन है ये जहां हमारा ,………… होता सब कुछ तेरे ही रहमों कर्म से …………. है सत्तापति एक ही , जो पूरा ब्रह्माण्ड चलारहा है ………… सिर्फ तेरा ही घर नहीं ,………… वो तो जीव – जंतु सभी को चला रहा है ………………. देता है वो जिसे भी सत्ता , …………… मिलती सत्ता उसे उसी के हुकम से …………….. रखना याद इतना , है ये सत्ता उसी की ,…………. तू भी जीता है उसी के रजा से… ... read more
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