मियां शेख चिल्ली चले लकड़ीयां काटनें

एक बार मियां शेख चिल्ली अपने मित्र के साथ जंगल में लकड़ियाँ कांटने गए। एक बड़ा सा पेड़ देख कर वह दोनों दोस्त उस पर लकड़ियाँ काटने के लिए चढ़ गए। मियां शेख चिल्ली अब लकड़ियाँ काटते-काटते लगे अपनी सोच के घोड़े दौड़ने। उन्होने सोचा कि मै इस जंगल से ढेर सारी लकड़ियाँ काटूँगा। उन लकड़ियों को बाज़ार में अच्छे दामों में बेचूंगा। इस तरह मुझे काफी धन-लाभ होगा। इस काम से मै कुछ ही समय में अमीर बन जाऊंगा। फिर लकड़ियाँ काटने के लिए ढेर सारे नौकर रख लूँगा। काटी हुई लकड़ियों से फर्नीचर का बिज़नस शुरू करूंगा। कुछ ही दिनों में मै इतना समृद्ध व्यापारी बन जाऊंगा की नगर का राजा मुझ से राजकुमारी का विवाह करवाने के लिए खुद स ... read more
 885
0  

मियां शेख चिल्ली चले चोरों के संग “चोरी करने”

एक बार अंधेरी रात में मियां शेख चिल्ली अपने घर की ओर चले जा रहे थे। तभी अचानक उनके पास से चार चोर गुज़रे। चुप-चाप दबे पाँव आगे बढ़ रहे चोरों के पास जा कर मियां शेख चिल्ली नें उनसे पूछा कि आप सब इस वक्त कहाँ जा रहे हैं। चोरों नें सोचा कि मियां शेख चिल्ली भी उन्ही की तरह कोई चोर है और साफ-साफ बता दिया कि हम चोर हैं और चोरी करनें जा रहे हैं। मियां शेख चिल्ली को खयाल आया कि इन लोगों के साथ चला जाता हूँ… कुछ नया सीखने को मिलेगा। यही सोच कर उन्होने चोरों को कहा कि मुझे भी अपने साथ ले चलो। पहले तो चोरों नें मियां शेख चिल्ली को मना कर दिया , पर बार-बार मिन्नतें करने पर उन्होने उन्हें भी साथ ले लिय ... read more
 896
0  

क्यों पड़ा “मियां शेख” का नाम “मियां शेख चिल्ली”

बचपन में मियां शेख चिल्ली को मौलवी साहब नें शिक्षा दी थी की लड़के और लड़की के लिए अलग अलग शब्दों का प्रावधान होता है। उदाहरण के तौर पर “सुलतान खाना खा रहा है” लेकिन “सुलताना खाना खा रही है।” मियां शेख चिल्ली नें मौलवी साहब की यह सीख गाठ बांध ली। फिर एक दिन मियां शेख चिल्ली जंगल से गुज़र रहे थे। तभी उन्हे किसी कुएं के अंदर से किसी के चिल्लाने की आवाज़ आई। वह फौरन वहाँ दौड़ कर जा पहुंचे। उन्होने देखा की वहाँ कुए में एक लड़की गिरि पड़ी थी और वह मदद के लिए चिल्ला रही थी। मियां शेख चिल्ली तुरंत दौड़ कर अपने दोस्तों के पास गए और उन्हे बोलने लगे कि वहाँ कुएं के अंदर एक लड़की गिरि पड़ी है और वह मदद के ... read more
 861
0  

मियां शेख चिल्ली के खयाली पुलाव

एक दिन सुबह-सुबह मियां शेख चिल्ली बाज़ार पहुँच गए। बाज़ार से उन्होने अंडे खरीदे और उन अंडों को एक टोकरी नें भर कर अपने सिर पर रख लिया, फिर वह घर की ओर जाने लगे। घर जाते-जाते उन्हे खयाल आया कि अगर इन अंडों से बच्चे निकलें तो मेरे पास ढेर सारी मुर्गियाँ होंगी। वह सब मुर्गियाँ ढेर सारे अंडे देंगी। उन अंडों को बाज़ार में बैच कर मै धनवान बन जाऊंगा। अमीर बन जाने के बाद मै एक नौकर रखूँगा जो मेरे लिए शॉपिंग कर लाएगा। उसके बाद में अपनें लिए एक महल जैसा आलीशान घर बनवाऊंगा। उस बड़े से घर में हर प्रकार की भव्य सुख-सुविधा होंगी। भोजन करने के लिए, आराम करने के लिए और बैठने के लिए उसमें अलग-अलग कमरे होंगे। घर ... read more
 844
0  

कौन थे शेख चिल्ली

माना जाता है कि सूफी संत अब्द-उर-रहीम, जिन्हें अब्द-उई-करीम और अब्द-उर- रज़ाक के नाम से भी जाना जाता था उन्ही का प्रसिद्द नाम शेख चिल्ली पड़ा। उनकी मौजूदगी 1650 AD के आस-पास की मानी जाती है और हरयाणा में उनका एक मकबरा भी बना हुआ है। भारत में शेख चिल्ली को एक मजेदार कैरेक्टर के रूप में देख जाता है जो अक्सर ख्यालों में खो जाता है और हवाई-किलें बनाया करता है। पर जब उसे होश आता है तो वो खुद को लोगों के बीच पाता है और सबके लिए हंसी का पात्र बन जाता है।
 701
0