पंचतंत्र की कहानियों का इतिहास

पञ्चतंत्र की ये कहानियाँ कब और क्यों लिखीं गईं ,इसके पीछे एक अत्यंत रोचक इतिहास है। कहते हैं कि प्राचीन काल में पाटलीपुत्र में ; जो आज पटना के नाम से विख्यात है, एक सुदर्शन नाम का अत्यंत गुणी राजा राज्य करता था।एक दिन उस राजा ने किसी कवि के द्वारा पढ़े जाते हुए दो श्लोक सुने जिनका भाव कुछ इस प्रकार था: 1) शास्त्र अर्थात् ज्ञान ही मानव के वास्तविक नेत्र होते हैं क्योंकि ज्ञान के द्वारा ही हमारे समस्त संशयों एवं भ्रमों का छेदन किया जा सकता है ;सत्य एवं तथ्य का परिचय भी ज्ञान के ही माध्यम से सम्भव हुआ करता है तथा अपनी क्रियायों के भावी परिणाम का अनुमान भी हम केवल अपने ज्ञान के द्वारा ही लगा सकत ... read more
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कछुआ और खरगोश

एक बार की बात है कि एक जंगल में एक कछुए और एक खरगोश में रेस हो गयी। अभी दौड़ते-दौड़ते थोड़ा ही समय गुज़रा था कि खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा कि कछुआ काफी पीछे रह गया है। उसने सोचा कि कछुए की चाल तो बहुत ही धीमी है इसलिए मैं थोड़ी देर विश्राम कर लेता हूँ।अब वह एक पेड़ की ठंडी छाँव में ऐसा सोया कि कछुआ, धीमी चाल होने के बावजूद भी, उससे आगे निकल कर अपने गन्तव्य तक पहुँच कर रेस जीत गया।मित्रों, इस कहानी के आधार पर ही यह कहावत मशहूर हो गयी जिसे लोग अक्सर दोहराया करते हैं कि— “SLOW AND STEADY WINS THE RACE.”
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बन्दर और मगरमच्छ

एक नदी के किनारे एक जामुन के पेड़ पर एक बन्दर रहता था जिसकी मित्रता उस नदी में रहने वाले मगरमच्छ के साथ हो गयी।वह बन्दर उस मगरमच्छ को भी खाने के लिए जामुन देता रहता था।एकदिन उस मगरमच्छ ने कुछ जामुन अपनी पत्नी को भी खिलाये। स्वादिष्ट जामुन खाने के बाद उसने यह सोचकर कि रोज़ाना ऐसे मीठे फल खाने वाले का दिल भी खूब मीठा होगा ;अपने पति से उस बन्दर का दिल लाने की ज़िद्द की। पत्नी के हाथों मजबूर हुए मगरमच्छ ने भी एक चाल चली और बन्दर से कहा कि उसकी भाभी उसे मिलना चाहती है इसलिए वह उसकी पीठ पर बैठ जाये ताकि सुरक्षित उसके घर पहुँच जाए।बन्दर भी अपने मित्र की बात का भरोसा कर, पेड़ से नदी में कूदा और उसकी पी ... read more
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