सोलहवीं कहानी - सबसे बड़ा काम किसने किया?

हिमाचल पर्वत पर गंधर्वों का एक नगर था, जिसमें जीमूतकेतु नामक राजा राज करता था। उसके एक लड़का था, जिसका नाम जीमूतवाहन था। बाप-बेटे दोनों भले थे। धर्म-कर्म मे लगे रहते थे। इससे प्रजा के लोग बहुत स्वच्छन्द हो गये और एक दिन उन्होंने राजा के महल को घेर लिया। राजकुमार ने यह देखा तो पिता से कहा कि आप चिन्ता न करें। मैं सबको मार भगाऊँगा। राजा बोला, "नहीं, ऐसा मत करो। युधिष्ठिर भी महाभारत करके पछताये थे।" इसके बाद राजा अपने गोत्र के लोगों को राज्य सौंप राजकुमार के साथ मलयाचल पर जाकर मढ़ी बनाकर रहने लगा। वहाँ जीमूतवाहन की एक ऋषि के बेटे से दोस्ती हो गयी। एक दिन दोनों पर्वत पर भवानी के मन्दिर में गये ... read more
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ग्यारहवीं कहानी - सबसे अधिक सुकुमार कौन?

गौड़ देश में वर्धमान नाम का एक नगर था, जिसमें गुणशेखर नाम का राजा राज करता था। उसके अभयचन्द्र नाम का दीवान था। उस दीवान के समझाने से राजा ने अपने राज्य में शिव और विष्णु की पूजा, गोदान, भूदान, पिण्डदान आदि सब बन्द कर दिये। नगर में डोंडी पिटवा दी कि जो कोई ये काम करेगा, उसका सबकुछ छीनकर उसे नगर से निकाल दिया जायेगा। एक दिन दीवान ने कहा, "महाराज, अगर कोई किसी को दु:ख पहुँचाता है और उसके प्राण लेता है तो पाप से उसका जन्म-मरण नहीं छूटता। वह बार-बार जन्म लेता और मरता है। इससे मनुष्य का जन्म पाकर धर्म बढ़ाना चाहिए। आदमी को हाथी से लेकर चींटी तक सबकी रक्षा करनी चाहिए। जो लोग दूसरों के दु:ख को नहीं ... read more
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चौबीसवीं कहानी - माँ-बेटी के बच्चों में क्या रिश्ता हुआ?

किसी नगर में मांडलिक नाम का राजा राज करता था। उसकी पत्नी का नाम चडवती था। वह मालव देश के राजा की लड़की थी। उसके लावण्यवती नाम की एक कन्या थी। जब वह विवाह के योग्य हुई तो राजा के भाई-बन्धुओं ने उसका राज्य छीन लिया और उसे देश-निकाला दे दिया। राजा रानी और कन्या को साथ लेकर मालव देश को चल दिया। रात को वे एक वन में ठहरे। पहले दिन चलकर भीलों की नगरी में पहुँचे। राजा ने रानी और बेटी से कहा कि तुम लोग वन में छिप जाओ, नहीं तो भील तुम्हें परेशान करेंगे। वे दोनों वन में चली गयीं। इसके बाद भीलों ने राजा पर हमला किया। राजा ने मुकाबला किया, पर अन्त में वह मारा गया। भील चले गये। उसके जाने पर रानी और बेटी ... read more
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बीसवीं कहानी - बालक क्यों हँसा?

चित्रकूट नगर में एक राजा रहता था। एक दिन वह शिकार खेलने जंगल में गया। घूमते-घूमते वह रास्ता भूल गया और अकेला रह गया। थक कर वह एक पेड़ की छाया में लेटा कि उसे एक ऋषि-कन्या दिखाई दी। उसे देखकर राजा उस पर मोहित हो गया। थोड़ी देर में ऋषि स्वयं आ गये। ऋषि ने पूछा, "तुम यहाँ कैसे आये हो?" राजा ने कहा, "मैं शिकार खेलने आया हूँ। ऋषि बोले, "बेटा, तुम क्यों जीवों को मारकर पाप कमाते हो?" राजा ने वादा किया कि मैं अब कभी शिकार नहीं खेलूँगा। खुश होकर ऋषि ने कहा, "तुम्हें जो माँगना हो, माँग लो।" राजा ने ऋषि-कन्या माँगी और ऋषि ने खुश होकर दोनों का विवाह कर दिया। राजा जब उसे लेकर चला तो रास्ते में एक भयंकर ... read more
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पाँचवीं कहानी - असली वर कौन?

उज्जैन में महाबल नाम का एक राजा रहता था। उसके हरिदास नाम का एक दूत था जिसके महादेवी नाम की बड़ी सुन्दर कन्या थी। जब वह विवाह योग्य हुई तो हरिदास को बहुत चिन्ता होने लगी। इसी बीच राजा ने उसे एक दूसरे राजा के पास भेजा। कई दिन चलकर हरिदास वहाँ पहुँचा। राजा ने उसे बड़ी अच्छी तरह से रखा। एक दिन एक ब्राह्मण हरिदास के पास आया। बोला, “तुम अपनी लड़की मुझे दे दो।” हरिदास ने कहाँ, “मैं अपनी लड़की उसे दूँगा, जिसमें सब गुण होंगे।” ब्राह्मण ने कहा, “मेरे पास एक ऐसा रथ है, जिस पर बैठकर जहाँ चाहो, घड़ी-भर में पहुँच जाओगे।” हरिदास बोला, “ठीक है। सबेरे उसे ले आना।” अगले दिन दोनों रथ पर बैठकर उज्जैन ... read more
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