क्लास में टीचर: सुनो बच्चो कल तुम लोगों का ग्रुप फोटो लिया जायेगा। सब लोग अपने-अपने घर से 50 रुपये ले कर आना। पप्पू, बंटी से: साला ये सब टीचर लोगों की मिली-भगत होती है। एक फोटो के 20 रुपये लगते हैं और हम लोगों से 50-50 रुपये लिए जा रहे हैं, मतलब एक बच्चे से 30 रुपये बचेंगे। अब अपनी ही क्लास में 60 बच्चे हैं तो 60 x 30 = 1800 रुपये, खुली लूट मचा रखी है इन लोगों ने। फिर हमारे पैसों से यह सब स्टाफ रूम में बैठ कर समोसे खाएंगे। चल भाई घर चलते हैं, कल मम्मी से 50 रुपये लेकर आना। घर जाकर पप्पू अपनी मम्मी से: मम्मी कल स्कूल में ग्रुप फोटो लेना है तो टीचर ने 100 रुपये मंगवाए हैं।
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सेवा में, श्री मान प्रधानाचार्य राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय विषय: फ़ीस माफ़ी हेतु। महोदयजी, उपरोक्त विषय में आप से निवेदन है कि कल मैं घर से फ़ीस के लिए 500 ₹ ले कर निकला था, मगर रास्ते में मेरी गर्लफ्रेंड मिल गई तो उसे पिज्ज़ा हट ले जाना पड़ा। वहाँ वो 500 ₹ खर्चा हो गए। वहीं मैंने देखा आप भी पूजा मैडम को अपने हाथ से पिज्जा खिला रहे थे जिसका वीडियो साथ संलग्न कर रहा हूँ। आगे आप खुद समझदार हैं। मेरी फीस माफ या आपका पर्दा फाश। आपका आज्ञाकारी छात्र पप्पू
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पढाई में अच्छा ना होने की वजह से संता अपने बेटे पप्पू को हमेशा डांटता रहता था। एक दिन जब दोनों इकट्ठे बैठ कर टीवी देख रहे थे तो अचानक से पप्पू, संता से बोला, "पापा मैं जब अपना व्यापार करूँगा तो देख लेना अच्छे-अच्छो के हाथ में कटोरा पकड़ा दूंगा"। संता ने ये सुना और हैरानी से पप्पू से पूछा, "बेटा वो कैसे?" बेटा मुस्कुराते हुए बोला, "गोल-गप्पे बेचकर"।
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फौज में मौज है; हजार रूपये रोज है; थोड़ा सा गम है; इसके लिए भी रम है; ज़िंदगी थोड़ी रिस्की है; इसके लिए तो व्हिस्की है; खानें के बाद फ्रुट है; मरनें के बाद सैलूट है; पहनने के लिए ड्रैस है; ड्रैस में जरूरी प्रेस है; सुवह-सुबह पी.टी है; वॉर्निंग के लिए सीटी है; चलने के लिए रूट है; पहनने के लिए D.M.S बूट है; खाने के लिए रिफ्रैशमेंन्ट है; गलती करो तो पनिशमेंट है; जीते-जी टेंशन है; मरने के बाद पेंशन है।
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यकीन मानिये पंजाबी भाषा से कुछ भी हो सकता है! टीचर पप्पू से: 'दिवाली' के बारे कुछ बताओ? पप्पू: ये है 'दिवाली' का इतिहास, इक वार इक मुण्डा सी। उसदा नाम हैप्पी सी। ओ अपने कन्ना विच वालियाँ पांन्दा सी। इक दिन उस दी वाली गुम गई। उसने बहुत लब्बी पर नही मिली पर थोड़ी देर बाद किसी होर मुंडे नू उस दी वाली मिल गई। लोक्का ने उस तो पूछया कि एह की है? ताँ उसने कहा कि एह 'हैप्पी दी वाली' है। बस उस दिन तो सारे 'हैप्पी दिवाली' मनान लग पए।
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